कौतुहल के वृक्ष की एक शाख हूँ ...ख्वाबों के सागर में सोई हुई एक नींद हूँ.....??
नाराज़गी का अफसाना बयां हूँ....या फिर कहकहों की दुनिया में खोया एक सुखा हुआ आंसूं हूँ...??
कभी कभी सोचता हूँ...मैं क्या हूँ.. ???
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